त्यो कविता त लुके छ, लु फेरि एकपल्ट पेस्टे है ।
Dedicated to Nepaliboy, from veteran chautaari compounder Madanwaa
हमने लरकी पाएन!
जवानिके जदलिजमे लभ कर्नै आएन
बुढापेले भेट कर्यो सला हमले लरकी पाएन
एगो छौँकडि दिलले खायो सोल सत्रे सालमे
कालि कालि दिलवालि, नशा सुसरिके चालमे
मुहमे पान चबाईके हमने साइकिल कुदायो
उसके घरके रस्तामे हमने अड्डा जमायो
दु दिन पछि त सला लरकी बाहिरै आएन
बिहे गौना सब भइलिएछ हमले थाहै पाएन
ऐसे इन्तजार बहुत करेछु, तर हार खाएन
बुढापेले भेट कर्यो सला हमले लरकी पाएन
चोरस्तामे खोलिदिएँ दुकान पान सुपारिके
दिनभर खालि लरकि देख्थेँ रोड वारिपारिके
२-४ साल देख्दै बित्यो सला लरकि एउटै फसेन
हमलाई लइन मार्नेहरुसंग सला हम्रो दिलै बसेन
अब तो गालके दोनो तरफ चाँवरि वाँवरि परेछ
भाई भतिज सबके सब सला सुसरालि तिर झरेछ
सुसरालिमे भात सला, हमले कहिल्यै खाएन
बुढापेले भेट कर्यो सला हमले लरकी पाएन